मानसून में हुआ विलंब हुआ तो जलाशयों से पानी मिलने में होगी…- भारत संपर्क
मानसून में हुआ विलंब हुआ तो जलाशयों से पानी मिलने में होगी मुश्किल, 48 में 18 ऐसे जलाशय जिनमें पानी का स्तर शून्य
कोरबा। जून माह में मानसून निर्धारित समय पर आने का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया है, बावजूद इसके इसमें विलंब हुआ तो जल संसाधन विभाग के छोटे जलाशयों से किसानों को खेतों में सिंचाई सुविधा के लिए पानी नहीं मिल सकेगा। जिले में कुल 48 में 18 ऐसे जलाशय हैं जिनमें पानी का स्तर शून्य है। मानसून के दौरान इन बांधों में पूर्ण भराव तो हुआ पर तकनीकी खामियों की वजह से जलाशय में ठहरा नहीं। निर्माण काल से से ही लिकेज की समस्या बनी हुई है। बिलासपुर से पृथक होकर कोरबा जिला अस्तित्व में आया तब यहां का सिंचित रकबा कुल कृषि रकबा का 22 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 52 प्रतिशत हो गया है। जिला बनने के बाद अब तक 30 प्रतिशत सिंचाई रकबा में बढ़ोतरी हुई है। बेला व बताती जैसे जलाशय जहां 0.38 व 0.49 मिलियन जल भराव की क्षमता है वह लिकेज की वजह से समय से पहले ही सूख चुकी है।जनवरी व फरवरी माह में वर्षा जब थम जाती है उस दौरान जलाशय से पानी लेना मिलना मुश्किल होता है। इस समस्या को दूर करने के लिए जलाशयों की गहरीकरण कर भराव क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। लंबे समय से जलाशयों में सुधार नहीं कराए जाने से जलाशयों की उपयोग नहीं हो पा रहा। सिंचाई सुविधा मिलने से किसान खरीफ के साथ रबी फसल भी ले सकते थे पर सूखे जलाशयों की वजह से किसानों को दोहरा लाभ नहीं मिल पा रहा।खेतों में सिंचाई सुविधा नहीं मिलने के बाद भी सिंचित रकबा के नाम पर किसानों से राजस्व वसूली की जाती है। छुरी जलाशय व नहर का जीर्णोद्धार कार्य ठपछुरी के भेलवाडबरा जलाशय के जीर्णोद्धार के लिए जल संसाधन डेढ़ करोड़ रूपए की स्वीकृति हुई है। निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी काम शुरू नहीं किया गया। जारी राशि बांध के गेट व नहर का मरम्मत किया जाना है। असामाजिक तत्वों बांध के गेट को खोलकर पानी बहा दिया है।बांध में पानी नहीं होने की वजह से नगरवासियों को निस्तारी के लिए समस्या का का सामना करना पड़ रहा है। जल संसाधान विभाग की ओर से बांध की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नहर के लिए भू अधिग्रहण लंबित कटघोरा के रामपुर, आमाखोखरा में जलाशय का निर्माण तो हो चुका है लेकिर नहर निर्माण निर्माण के लिए अर्जित जमीन के मुआवजे का निपटारा नहीं हो सका है।इस वजह से खेतों तक पानी पहुंचाना अभी भी संभव नहीं हुआ है।