तेल का सौदागर सऊदी चुपके चुपके चीन और रूस की तरह बढ़ा रहा अपनी सैन्य ताकत | saudi… – भारत संपर्क

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तेल का सौदागर सऊदी चुपके चुपके चीन और रूस की तरह बढ़ा रहा अपनी सैन्य ताकत | saudi… – भारत संपर्क
तेल का सौदागर सऊदी चुपके-चुपके चीन और रूस की तरह बढ़ा रहा अपनी सैन्य ताकत

सऊदी मिलिट्री बजट

2010 में हुई अरब क्रांति के बाद से मध्यपूर्व के कई देशों में जंग जैसे हालात आज तक बने हुए हैं. साथ ही तेल और गैस की भरमार होने की वजह से दुनिया की बड़ी ताकतों की नजर भी इस क्षेत्र पर बनी रहती है. हालांकि, दुनियाभर के सभी देश अपने पॉलिटिकल एजेंडे को पुश करने, विदेश नीति और बाहरी खतरों से बचने के लिए अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने की कोशिश करते रहते हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिडिल ईस्ट के 10 देशों में 7 देशों का मिलिट्री बजट देश के दूसरे अहम क्षेत्रों के बजट से भी ज्यादा है. अपनी सेना और हथियारों की खरीद पर पैसा खर्च करने वाले खाड़ी देशों में सऊदी अरब पहले नंबर पर है.

सऊदी अरब अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम रखने और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए करता आया है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आने के बाद सऊदी के डिफेंस और मिलिट्री बजट में रिकॉर्ड इज़ाफा हुआ है. स्टॉकहोम इंटरनेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अपने डिफेंस और मिलिट्री पर खर्च करने वाले देशों में सऊदी पूरी दुनिया में 5वें नंबर पर है और मिडिल ईस्ट में पहले पर. लेकिन सवाल उठता है कि मुस्लिम देशों से घिरे और तेल से मालामाल ये देश अपनी सेना की ताकत इतनी तेजी से बढ़ाने में क्यों लगा है? आइये कुछ पॉइंट्स से समझने की कोशिश करते हैं.

अमेरिका-पाक से लगा चस्का

जानकारों के मुताबिक 1970 के दशक में तेल के दाम तेजी से बढ़ने लगे. जिसका फायदा सऊदी अरब को सीधे तौर पर मिला. जरूरत से ज्यादा पैसा आने के बाद सऊदी अरब अपनी नीतियों और विचारधारा के प्रचार प्रसार के बारे में सोचने लगा. सऊदी अरब के पाकिस्तान और अमेरिका के साथ पहले से ही अच्छे संबंध थे, इसीलिए देश के सुरक्षा ढांचों को मजबूत करने के लिए सऊदी ने इन दो देशों पर भरोसा किया.

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सऊदी अरब में US सेना

अमेरिका की कंपनियों को सऊदी की तेल रिफाइनरियों के ठेके मिले, तो पाकिस्तान को उसकी सेना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सऊदी से बड़ी आर्थिक मदद. बता दें पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र मुस्लिम परमाणु देश है और सऊदी इस मदद के बदले पाकिस्तान से भविष्य में साथ की उम्मीद रखता है.

Pak Army Chied Saudi Arab Visit

पाक आर्मी चीफ सऊदी मंत्री के साथ

क्षेत्र में वर्चस्व बनाए रखने के लिए बढ़ा रहा सैन्य ताकत

सऊदी अरब खुद को मुस्लिम दुनिया का लीडर दिखाता है. OIC (Organisation of Islamic Cooperation) से लेकर तमाम मुस्लिम संस्थाओं में सऊदी का दखल किसी से छिपा नहीं. आज के वक्त सऊदी अरब कई मुस्लिम देशों में हो रहे सैन्य संघर्षों में खुले और छिपे तौर से शामिल है. चाहे वे सुडान क्राइसिस हो, यमन युद्ध, सीरिया-लेबनान में शिया ग्रुप से लड़ने वाले संगठन या पाक अफगान में चरमपंथ. सऊदी इन सभी विवादों में शामिल है और अपने हित के हिसाब से पक्षों को सैन्य और आर्थिक मदद दे रहा है.

Saudi Army

सऊदी सैनिक

कितना बड़ा है सऊदी का सैन्य खर्च

स्टेटिस्टा के मुताबित, सऊदी अरब अपने डिफेंस पर करीब 75.8 बिलियन डॉलर खर्च करता है. सऊदी दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा मिलिट्री पर खर्च करने वाला देश है. सऊदी अरब अपने 80 फीसद आर्म अमेरिका से खरीदता है. लेकिन 2015 में MBS के डिफेंस मिनिस्ट्र बनने के बाद सऊदी अरब ने अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए चीन और रूस का साथ लेना भी शुरू किया है.

टॉप 4 डिफेंस बजट वाले देश-

  1. अमेरिका 916 बिलियन डॉलर
  2. चीन 296 बिलियन डॉलर
  3. रूस 109 बिलियन डॉलर
  4. भारत 83.7 बिलियन डॉलर

सैन्य ताकत को तेजी से बढ़ाने की वजह

2010 की अरब क्रांति के बाद से ही सऊदी सरकार को ये एहसास हो गया था कि राजशाही के बावजूद देश में लोकतांत्रिक आवाजें किसी भी वक्त उठ सकती हैं. जानकार कहते हैं कि सऊदी में अगर कोई भी आंदोलन खड़ा होता है, तो ईरान जैसे देश उस आंदोलन को बल आंदोलन में बदलने की कोशिश कर सकते हैं. जिसको दबाने के लिए देश की सेना का मजबूत होना बेहद जरूरी है. 2015 में शुरू हुए यमन युद्ध और ईरान के बढ़ते खतरों से बचने के लिए सऊदी अरब ने पिछले कुछ सालों में अपनी सेना को मजबूत करना शुरू किया है.

Yemen Saudi Conflict Anniversary

यमनी लड़ाके

2023 में ही सऊदी ने अपने बजट को 2022 के मुकाबले 4.3% बढ़ाया है. इस बढ़ोत्तरी की वजह जानकार यूक्रेन युद्ध के दौरान तेल के बढ़े दामों से होने वाले मुनाफे को मान रहे हैं.

सेना को आत्मनिर्भर बनाने में लगे MBS

सऊदी अरब अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिकी हथियार और पकिस्तान सेना पर काफी हद तक निर्भर है. क्राउन प्रिंस सलमान के विजन 2030 में सऊदी को डिफेंस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना भी शामिल है. जिसके लिए सऊदी ने अपनी आर्म इंडस्ट्री बनाने की शुरुआत कर दी है. इस साल फरवरी में सऊदी अरब ने दूसरी बार ‘द वर्ल्ड डिफेंस शो’ का आयोजन किया जिसमें सऊदी ने अपनी बढ़ती डिफेंस पावर को दुनिया के सामने जाहिर किया है. इस विजन के तहत ही सऊदी का सालाना रक्षा बजट 2028 में 86.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.

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सऊदी विजन 2030

हालांकि सऊदी अभी बड़े हथियारों का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है, लेकिन वह हल्के हथियार, ड्रोन और बख्तरबंद वाहनों का डिजाइन और उत्पादन कर रहा है. अपने खुद की आर्म इंडस्ट्री डेवलप करने का मकसद दूसरे देशों से खरीद को कम करना है. क्योंकि जर्मनी जैसे देश मानवाधिकार संबंधी चिंताओं और यमन में सऊदी नेतृत्व वाले युद्ध का हवाला देते हुए, सऊदी अरब को लगभग 200 लेपार्ड 2A7 टैंकों की बिक्री को रोक लगा चुके हैं. सऊदी का लक्ष्य 2030 तक 50 फीसदी हथियारों का निर्माण देश में ही करने का है.

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