रिजेक्शन से नहीं डरेगा बच्चा, माता पिता ऐसे समझाएं तो कर लेगा हर फेलियर को पार |…

0
रिजेक्शन से नहीं डरेगा बच्चा, माता पिता ऐसे समझाएं तो कर लेगा हर फेलियर को पार |…
रिजेक्शन से नहीं डरेगा बच्चा, माता-पिता ऐसे समझाएं तो कर लेगा हर फेलियर को पार

बच्चे को कैसे बनाएं मेंटली स्ट्रॉन्ग.Image Credit source: freepik

लाइफ में हार का सामना करना किसी के लिए भी काफी मुश्किल दौर होता है, लेकिन अगर इसे सही तरह से संभाला जाए तो बुरी से बुरी सिचुएशन को भी पार किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए सबसे जरूरी है कि व्यक्ति मेंटली मजबूत हो. नई जनरेशन में अक्सर देखने में आता है कि लोग रिजेक्शन, फेलियर के स्ट्रेस को डील नहीं कर पाते हैं और कई बार डिप्रेशन का शिकार तक हो जाते हैं. इस मामले में माता-पिता अपने बच्चे की लाइफ में अहम भूमिका निभा सकते हैं और बचपन से ही उन्हें मेंटली मजबूत बना सकते हैं. इससे न सिर्फ बचपन में होने वाली छोटी-छोटी हार को वह आसानी से एक्सेप्ट कर पाएगा बल्कि आगे चलकर भी रिजेक्शन और फेलियर से डरने की बजाय डटकर धैर्य के साथ स्थिति का सामना करने में सक्षम रहेगा.

माता-पिता बच्चों की परवरिश करने के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखकर बच्चों को इस तरह से मजबूत बना सकते हैं कि वे मुश्किल परिस्थिती में हार मान लेने की बजाय फेलियर को भी मौके की तरह देखना सीखें और आगे बढ़ें. तो चलिए जानते हैं.

इस तरह डेवलप करें सकारात्मक सोच

घर के माहौल का बच्चों के दिमाग पर गहरा असर होता है जो उनकी आगे आने वाली जिंदगी को भी प्रभावित करता है. इसलिए अपने बच्चे के सामने नकारात्मक बातें कहने से बचें. बच्चों की तुलना दूसरों से न करें और किसी भी एक्टिविटी में हिस्सा लेने से पहले जीतने का दवाब बनाने की बजाय उनसे कहें की जिंदगी में हार जीत लगी रहती है, जरूरी ये है कि आपने कोशिश की. इससे बच्चे का मनोबल बढ़ेगा.

फेलियर को मौके की तरह देखना सिखाएं

एग्जाम में कम नंबर आने पर अगर पेरेंट्स भी डांट दें तो बच्चे पर प्रेशर काफी बढ़ जाता है जो लाइफ में उसे हमेशा परेशान करता है. इसलिए इस तरह की सिचुएशन में इपने बच्चे को समझाएं कि आज उनके अगर कम नंबर आए हैं या फिर वे फेल हो गए हैं तो ये उनके लिए कोई बुरी बात नहीं है, बल्कि दूसरा मौका है खुद को साबित करने का. बच्चे को मोटिवेट करें और समझाएं कि वो फेलियर को पार कर सकता है.

बच्चों से बैठकर बात करना है जरूरी

छोटे बच्चों कम मन में कई सवाल होते हैं, जिनके जवाब न मिलने की वजह से उनके दिमाग में कई बार उलझन पैदा होने लगती है. माता-पिता को बच्चे के साथ कुछ वक्त ऐसा बिताना चाहिए, जिसमें बच्चे को लगे कि आपका वो वक्त सिर्फ और सिर्फ उसी का है. इस दौरान उसकी हर एक बात को ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें. इससे बच्चा बिना डरे आपसे अपने मन की हर बात कह पाएगा और जिंदगी में कोई भी परेशानी होने पर वह समझ पाएगा कि उसके पास उसके माता-पिता का सपोर्ट है और वह मुश्किल दौर को भी पार कर सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सीबीएसई बोर्ड की सप्लीमेंट्री परीक्षा 15 जुलाई से- भारत संपर्क| इब्राहिम रईसी के करीबी रहे मोखबर चलाएंगे ईरान की सरकार, 50 दिन में होंगे राष्ट्रपति… – भारत संपर्क| Mumbai Voting: वोट डालने पहुंचीं गौहर खान क्यों भड़क गईं? सामने आया ऐसा वीडियो |… – भारत संपर्क| HDFC, एक्सिस बैंक या SBI, सीनियर सिटीजन को कौन करा रहा सबसे…- भारत संपर्क| Raigarh News: सिक्योरिटी गार्ड गिरफ्तार…आफिस से लैपटॉप, बाइक…- भारत संपर्क