वो 10 टर्निंग प्वाइंट, जिसने पुतिन को बनाया दुनिया के सबसे ताकतवर नेता | ten turning… – भारत संपर्क

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वो 10 टर्निंग प्वाइंट, जिसने पुतिन को बनाया दुनिया के सबसे ताकतवर नेता | ten turning… – भारत संपर्क
वो 10 टर्निंग प्वाइंट, जिसने पुतिन को बनाया दुनिया के सबसे ताकतवर नेता

पुत‍िन दुन‍िया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार हैं. Image Credit source: AFP

31 दिसंबर 1999, वो तारीख जब रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने अचानक राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. इस संबोधन में येल्तसिन ने जो ऐलान किया वह चौंकाने वाला था. येल्तसिन ने अचानक ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. रूस के संविधान के मुताबिक येल्तसिन को एक कार्यकारी राष्ट्रपति का चुनाव भी करना था. उसके लिए उन्होंने व्लादिमिर पुतिन को चुना. पुतिन कार्यकारी राष्ट्रपति बन चुके थे, उससे पहले दुनिया उन्हें रूस की खुफिया एजेंसी FSB के चीफ के तौर पर पहचाने जाते थे. तब शायद किसी को अंदाजा भी नहीं होगा कि रूस की खुफिया एजेंसी के एक एजेंट और बाद में उसके चीफ के तौर पर काम करने वाला ये शख्स एक दिन दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार होगा.

पुतिन ने मंगलवार को रूस राष्ट्रपति के तौर पांचवीं बार शपथ ली. पुतिन का यह कार्यकाल 2030 तक होगा. इस कार्यकाल को पूरा करने के साथ ही पुतिन जोसेफ स्टालिन का रिकॉर्ड तोड़ देंगे, जिन्होंने तकरीबन दो दशक तक सोवियत यूनियन पर शासन किया था. सबसे खास बात ये है कि पुतिन को इस चुनाव में 87 फीसदी वोट मिले हैं जो अब तक हुए चुनावों में सर्वाधिक हैं. इससे पहले हुए चुनाव में उन्हें 76.7 फीसदी वोट मिले थे. बेशक पुतिन सन् 2000 से लेकर अब तक रूस की सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन इस बीच कई उतार-चढ़ावों से उन्हें गुजरना पड़ा. हालांकि पुतिन हर मुश्किल मात देते रहे.

वो टर्निंग प्वाइंट जिन्होंने पुतिन को ताकतवर बनाया

  1. 1999 में कार्यकारी राष्ट्रपति की जिम्मेदारी मिलने के बाद पुतिन ने सन् 2000 में पहली बार चुनाव लड़ा और राष्ट्रपति चुन पावर में आए. पुतिन ने सबसे पहले क्रेमलिन की आलोचनात्मक कवरेज के लिए प्रसिद्ध एनटीवी पर छापा पड़वाया और पहली बार रूस की जनता को दिखाया कि यह बदलाव का समय है. हालांकि पुतिन को इसके लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. हालांकि रूस का एक वर्ग ऐसा था जिसने इस कदम को सराहा.
  2. पुतिन आलोचनाएं झेलते रहे, 12 अगस्त 2000 को जब बैरेंट्स सागर में 118 लोगों को ले जा रही पनडुब्बी डूबी और पश्चिमी देशों ने मदद का प्रस्ताव दिया तो पुतिन ने प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले पांच दिन तक इंतजार किया. इसके ठीक दो साल बाद जब चेचन्या में आतंकियों ने मॉस्को के एक थिएटर में 850 लोगों को बंधक बनाया तो रूस के सुरक्षा बलों ने हॉल में गैस डाली, जिससे आतंकियों के साथ 130 बंधकों की भी मौत हुई. पुतिन इस घटना के लिए भी आलोचना का शिकार हुए. इस घटना के बाद भी ये माना गया कि सैकड़ों जान बचाने के लिए पुतिन का यह कदम जरूरी था.
  3. पुतिन की आलोचनाएं होती रहीं, लेकिन वह लगातार इनकी परवाह न करके खुद को मजबूत सिद्ध करते गए. 2004 में जब चुनाव हुए तो पुतिन को राष्ट्रपति के तौर पर दूसरे कार्यकाल के लिए चुन लिया गया. सितंबर 2004 में आतंकियों ने दक्षिणी शहर बेसलान में एक स्कूल पर कब्जा किया और बमबारी की, जिसमें 300 से अधिक लोग मारे गए. पुतिन ने इसके लिए गर्वनरों को जिम्मेदार ठहराया और ये तय किया कि उनकी जगह क्षेत्रीय लोगों को चुना जाएगा.
  4. 2005 में पहली बार पुतिन ने अमेरिका के साथ संबंधों को घनिष्ठ करने के प्रयासों से दूरी बना ली. उन्होंने सोवियत संघ के पतन को सदी की सबसे बड़ी भू राजनीतिक तबाही बताया. दो साल बाद म्यूनिख में एक सम्मेलन में भी उन्होंने संकेत दिए कि अमेरिका से दोस्ती की उनकी कोई इच्छा नहीं है.
  5. रूस के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति लगातार तीसरी बार नहीं चुने जा सकते थे, इसके लिए पुतिन ने रास्ता निकाला अपने खास दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनाकर खुद प्रधानमंत्री बन गए. हालांकि रूस की सत्ता पर पुतिन ने अपनी पकड़ बनाए रखी. इसी दौरान रूस ने जॉर्जिया के साथ एक युद्ध भी लड़ा और दक्षिण ओसेशिया, अब्खाजिया पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर रूस की जनता की वाहवाही लूटी.
  6. 2012 में पुतिन फिर रूस के राष्ट्रपति बने. इस बार वह संविधान बदलकर राष्ट्रपति का कार्यकाल चार से बढ़ाकर छह साल कर चुके थे. इन संशोधनों के तहत राजनीतिक विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सख्त कानून भी बनाए गए.
  7. यूक्रेन की राजधानी कीव में विरोध प्रदार्श्न के बीच यूक्रेन के रूस समर्थिक राष्ट्रपति को हटाने के बाद पुतिन ने वहां सैनिक भेजे और क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. उन्होंने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग कर एक जनमत संग्रह कराया और इसमें सफलता पाई. इस कारण पूर्वी यूक्रेन में यूक्रेन की सेना और रूस समर्थित अलगाववादियों के बीच जंग चलती रही.
  8. 2020 में पुतिन ने एक बार फिर संविधान बदला, जिससे वह 2024 से शुरू होने वाले दो और कार्यकालों के लिए राष्ट्रपति चुने जा सकेंगे. इसके एक साल बाद पुतिन ने यूक्रेन को रूस का हिस्सा बताते हुए एक लेख प्रकाशित किया, इसके बाद माना जाने लगा था कि अब रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है.
  9. पुतिन यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया. इसे रूस के लिए आवश्यक बताया गया. इसके बाद उन्होंने एक और कानून बनाया, जिसमें सेना के बारे में गलत जानकारी देने पर 15 साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया. 2023 में इंटरनेशनल कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ एक वारंट निकाला, लेकिन पुतिन ने इसकी परवाह नहीं की और रूस की जनता के बीच वह अपनी पैठ बनाते गए.
  10. जून 2023 में निजी सुरक्षा बल के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन में पुतिन के खिलाफ विद्रोह किया, दो महीने बाद एक रहस्य विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई. इसके बाद इसी साल फरवरी में आर्कटिक जेल कॉलोनी में पुतिन के एक और दुश्मन नवलनी की मौत हुई. पुतिन पर आरोप लगते रहे. आलोचना होती रही, लेकिन वह लगातार रूस के लोकप्रिय नेता बनते गए. चुनाव में 87 प्रतिशत वोट इसकी बानगी हैं.

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