300 की मौत का बदला लेने के लिए 80 हजार को मारा, जब पुतिन ने लाइव दिखाया था आतंकियों… – भारत संपर्क

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300 की मौत का बदला लेने के लिए 80 हजार को मारा, जब पुतिन ने लाइव दिखाया था आतंकियों… – भारत संपर्क

1952 में एक साधारण परिवार में जन्में व्लादिमीर पुतिन के पिता सोवियत संघ नेवी में अपनी सेवा देते थे और इनकी इनकी मां एक छोटी सी फैक्ट्री में वर्कर थी. 1975 में रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी को जॉइन करने के साथ ही व्लादिमीर पुतिन एक सीक्रेट आफिसर बनते हैं. इनके जीवन में सबसे बड़ा बदलाव तब आया, जब 1989 में जर्मनी रूस के खिलाफ होने लगा. जर्मनी में पहले रूस का प्रभाव हुआ था, लेकिन बर्लिन की दीवार टूटने के बाद अब वह पूरी तरह से अमेरिका के प्रभाव में चला गया. रूस उस समय सोवियत संघ हुआ करता था और इसमें 15 देश होते थे जोकि बिखर गए. उस समय के यूएसएसआर में एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, यूक्रेन, मोलडोवा, बेलारूस, जॉर्जिया, आर्मेनिया, अजरबैजान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे, जिसमें सबसे बड़ा भाग रूस था.

जब रूस 15 भागों में टूटा, उस समय रूस के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव थे और वह सबसे असफल राष्ट्रपति रहे. उन्होंने 1999 में अफगानिस्तान में तालिबान को कंट्रोल करने के लिए सेना भेजी, लेकिन वहां से भागना पड़ा. बर्लिन की दीवार तोड़ दी गई, यह उसको भी नहीं कंट्रोल कर पाए और 1991 का यूएसएसआर का बिखराव हो गया. इन्हें अपने पद से त्याग देना पड़ा और उनकी जगह पर बोरिस येल्त्सिन रूस के राष्ट्रपति बने. बोरिस येल्त्सिनको लगता था कि रूस में सरकारी तंत्र फालतू है और इसकी वजह से सरकार पर काफी दबाव बढ़ता है. बोरिस को लगा कि अमेरिका की तरह आगे बढ़ना है तो प्राइवेट कर आगे बढ़ना पड़ेगा. बोरिस येल्त्सिन ने सरकारी मशीनरी बंद कर प्राइवेट को आगे बढ़ना चालू कर दिया और इस वजह से पहले से जो अर्थव्यवस्था जो चल रही थी, वह भी नहीं चल पाई. लोगों का रोजगार जाने लगा और उनका विरोध होने लगा. इसके बाद एंट्री हुई व्लादिमिर पुतिन की.

1991 में व्लादिमीर पुतिन लेफ्टिनेंट कर्नल बन चुके थे और रूस के सबसे बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर अनातोली सोबचाक हुआ करते थे. पुतिन की सोबचाक से मुलाकात होती है और वह उनको सेंट पीटर्सबर्ग का डिप्टी मेयर बना देते हैं. डिप्टी मेयर बनते ही उन्होंने वहां के करप्शन को खत्म किया और व्यवस्थाओं में सुधार लाया. यह परिवर्तन सड़कों पर दिखने लगती है और सेंट पीटर्सबर्ग से व्लादिमीर पुतिन का नाम उभरकर तेजी से सामने आता है. उस समय राष्ट्रपति के सलाहकार वैलेन्टिन बोरिसोविच युमाशेव थे और वह बोरिस के दामाद थे. इन्होंने पुतिन को बुलाया और राष्ट्रपति बोरिस का एडवाइजर बना दिया. इस तरह से पुतिन और बोरिस की दोस्ती हो गई. धीरे-धीरे पुतिन नेशनल लेवल तक उभरते गए और उनका कद बढ़ता गया.

चेचन्या युद्ध के बाद बने हीरो

यूएसएसआर से करीब 15 देश पहले ही टूट चुके थे और पुतिन के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1999 में चेचन्या भी रूस से अलग होना चाहता था. इसी दौरान अगस्त से सितंबर तक रूस के शहर मॉस्को में सीरियल ब्लास्ट होने लगे थे और मरने वालों की संख्या 300 हो गई थी. रूस के लोग अब चेचन्या को देखना नहीं चाहते थे और इसको लेकर देश के लोगों में काफी आक्रोश था. बोरिस येल्त्सिन शराब का आदी था और इसने इस मामले को निपटने के लिए पुतिन को जिम्मेदारी दे दी. जिसके बाद पुतिन ने चेचन्या के खिलाफ सेना को उतार दिया और हर सिपाही के हेलमेट पर कैमरा लगा दिया और एक्शन का लाइव टेलिकास्ट दिखाया. 300 लोगों की मौत का बदला लेने के लिए पुतिन ने करीब 80 हजार को मार दिया. जब लोगों ने देखा कि पुतिन ने लोगों की मौत का बदला लिया है तो उनकी रेटिंग काफी ऊपर चली गई. 1999 में जो पुतिन प्रधानमंत्री थे, वह राष्ट्रपति से भी ज्यादा फेमस होने लगे और बोरिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे. इसी बीच सन 2000 में पुतिन पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीत गए.

हर बार अपने पास रखी ताकत

रूस जैसे बड़े देश की पूरी सत्ता अब पुतिन के हाथ में थी, वह सन 2000 में चुनाव जीते थे और उस समय तक रूस के संविधान के हिसाब से कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार तक राष्ट्रपति नहीं बन सकता है. सविधान के अनुसार, यहां पर राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल में होता था. 2004 तक वह राष्ट्रपति चुने गए तो उन्होंने इस कार्यकाल के दौरान अपने करीबियों को सत्ता में काबिज किया और पूरी तरह से क्रेमलिन पर कब्जा कर लिया. उन्होंने पहले कार्यकाल में जबरदस्त काम किया और रूस की जीडीपी 93 परसेंट की रफ्तार से बढ़ी. इसके बाद वह 2004 से 2008 तक दूसरी बार राष्ट्रपति रहे और उसके बाद 2008 में एक बार फिर से प्रधानमंत्री बन गए. वह अब 2012 तक रूस के प्रधानमंत्री रहे और अपने करीबी दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति का चुनाव जिता दिया. उस समय पुतिन ने राष्ट्रपति की शक्तियों को प्रधामंत्री को सौंपने के लिए संविधान में संशोधन कर दिया था, जिसके बाद दिमित्री सिर्फ काम के राष्ट्रपति रह गए और सभी शक्तियां पुतिन के पास आ गई.

दूसरे कार्यकाल के बाद कई देशों पर किया हमला

पुतिन 2012 में एक फिर से राष्ट्रपति बने और उन्होंने फिर से संविधान में संशोधन करके प्रधानमंत्री से सभी शक्तियां वापस लेते हुए राष्ट्रपति को सौंप दी. इसके बाद 2016 में फिर से चुनाव हुए और पुतिन 2020 तक रूस के राष्ट्रपति चुने गए. हालांकि 2020 तक पुतिन ने संविधान में संशोधन करके खुद को 2036 तक राष्ट्रपति रहने का ऐलान कर दिया. पुतिन अपने पहले कार्यकाल 2000 से 2004 तक पूरा ध्यान अपने देश पर दिया था, लेकिन दूसरे कार्यकाल में उन्होंने खतरनाक काम करना चालू किया और 2008 में जॉर्जिया पर हमला कर दिया है, क्योंकि जॉर्जिया 1991 में सोवियत संघ से टूटा था और उसके दो क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था. 2011 में पुतिन ने लीबिया पर आक्रमण कर दिया. उसके बाद 2014 यूक्रेन के सिर क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. 2015 में सीरिया में गिर रहे सरकार बशर अल असद की सरकार को बचा लिया और 2022 में उन्होंने पूरी तरह से यूक्रेन पर हमला कर दिया.

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