World Elections in 2024: रूस से अजरबैजान और साउथ कोरिया से ताइवान…2024 में हुए इन… – भारत संपर्क

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World Elections in 2024: रूस से अजरबैजान और साउथ कोरिया से ताइवान…2024 में हुए इन… – भारत संपर्क
World Elections in 2024:  रूस से अजरबैजान और साउथ कोरिया से ताइवान...2024 में हुए इन देशों में चुनाव, भारत पर क्या असर?

दुनिया भर में चुनाव

किसी देश के लिए चुनावी साल सबसे अहम होता है. इसी से तय होता है कि अगले 5 सालों तक देश कौन संभालेगा, देश में किस विचार की सरकार होगी, देश कहां से क्या आयात करेगा, किस देश के साथ उसके संबंध अच्छे होंगे. इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम के मुताबिक, साल 2024 में भारत समेत करीब 60 देशों में चुनाव हैं. दुनिया की आधी आबादी इस साल वोट करेगी, तो ये कहना गलत नहीं होगा कि ये साल दुनिया के तौर-तरीके बदलने वाला साल है.

इन 60 देशों में से कई देश ऐसे हैं जो G7 और G20 जैसे ताकतवर समूहों का हिस्सा हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में भी इस साल आम चुनाव हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद संभालने के दावे कर रहे हैं तो विपक्ष भी सत्ता परिवर्तन के मजबूत दावे कर रहा है. अभी आधा साल भी नहीं गुजरा है और कई देशों में चुनाव हो चुके हैं. इनमें से कई देश ऐसे हैं जिनके चुनावों का असर सीधे तौर पर भारत पर पड़ा है. आइये जानते हैं कौन से वे देश हैं जिनमें चुनाव हो चुके हैं और उनके नतीजों से दुनिया पर क्या असर पड़ा है.

इन देशों के चुनावों का भारत पर सीधे असर

जिन देशों में मई 2024 तक चुनाव हो चुके हैं उनमें कुछ देशों की नीति राजनीती का असर सीधे तौर पर भारत पर पड़ता है. बंग्लादेश, रूस, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, ताइवान और भूटान में चुनाव पूरे हो चुके हैं. एशियाई महाद्वीप की आधी आबादी अपने मतदान का इस्तेमाल कर चुकी है. आइये जानते हैं इन देशों में कैसे रहे चुनाव.

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भारत के दोस्त बंग्लादेश में नहीं बदली सरकार

बंग्लादेश में जनवरी में चुनाव हो चुके हैं. इलेक्शन में धांधली और कई दूसरे आरोपों के बावजूद शेख हसीना चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनी हैं. बंग्लादेश के मुख्य विपक्षी दल बीएनपी ने चुनाव का बहिष्कार किया था, जिसके बाद शेख हसीना का जीतना साफ हो गया था.

भारत पर क्या असर?

भारत के रिश्ते बंग्लादेश के साथ हमेशा से अच्छे रहे हैं. शेख हसीना की वापसी भारत के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि विपक्षी दल बीएनपी देश में भारत विरोधी कई प्रदर्शन कर चुका है. अगर बंग्लादेश में सत्ता परिवर्तन होता तो भारत पर इसका बुरा असर पड़ता.

पाकिस्तान के चुनावों पर उठे सवाल

पाकिस्तान में हुए चुनाव कई सवालों से घिरे रहे हैं. पहले तो इमरान खान की पार्टी PTI का सिंबल छीन लिया गया दूसरा उनके आजाद कैंडिडेट्स को भी चुनाव प्रचार से रोका गया. फिर भी इमरान खान समर्थित उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की लेकिन वे बहुमत का आंकड़ा छूने से चूक गए. देश में नवाज शरीफ की पार्टी PMLN और PPP ने मिलकर एक नई सरकार का गठन किया है. बता दें पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को बनाया गया है.

भारत पर असर

PMLN और PTI दोनों की सरकार में पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते खराब रहे हैं. ऐसे में दोबारा से शरीफ परिवार का सत्ता में आना शायद ही भारत के लिए अच्छा साबित हो. क्योंकि शहबाज शरीफ भी कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के पुराने रुख पर अड़े हैं.

रूस में फिर पुतिन

रूस में भी इस साल चुनाव हुए और जैसा कि सबको मालूम था कि 5वीं बार पुतिन देश के राष्ट्रपति बन जाएंगे, वैसा ही हुआ. रूस के इन चुनावों पर कई वेस्ट के देशों और मानव अधिकार संगठनों ने सवाल खड़े किए हैं. पुतिन ने करीब 87 फीसदी वोट हासिल किए हैं.

भारत पर क्या असर?

रूस के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध बहुत गहरे हैं. भारत सालों से रूस से सस्ती दरों में तेल निर्यात करता आया है. हथियारों की खरीद में रूस भारत के लिए अहम रहा है. पुतिन भारत को तरजीह देते हैं. ऐसे में रूस का सत्ता में बदलाव न होना भारत के लिए एक अच्छे संकेत हैं.

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया में प्रबोवो सुबियांतो ने राष्ट्रपति की शपथ ली. प्रबोवो सुबियांतो ने अपने दो प्रतिद्वंदियों के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की है. जिसके बाद प्रतिद्वंदियों ने चुनाव में धांधली की शिकायत दर्ज करने की बात कही थी. बता दें प्रबोवो पुरानी सरकार में रक्षा मंत्री थे और वे इंडोनेशिया के एक बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं. प्रबोवो इंडोनेशिया अपनी 20 करोड़ की आबादी के साथ एक बड़ा बजार है. जिसके वजह से इसके चुनावों पर भारत, चीन और अमेरिका की भी नजर थी.

भारत के साथ रिश्ते

इंडोनेशिया और भारत के रिश्ते व्यापारिक और कूटनीतिक दोनों ही लिहाज से अच्छे रहे हैं. दोनों देशों ने 1951 में एक दूसरे के साथ संबंध स्थापित किए थे. भारत अंडमान निकोबार में इंडोनेशिया के साथ समुद्री सीमा साझा करता है. प्रबोवो सुबियांतो की सरकार में भी इन रिश्तों के बहतर होने की उम्मीद है.

ताइवान

चीन के साथ विवादों में रहने वाले ताइवान में भी इस साल चुनाव हुए . चीन की कट्टर विरोधी समझे जानी वाली पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल की है. सत्तारूढ़ पार्टी के नेता विलियन लाई चिंग ते देश के नए राष्ट्रपति बने हैं, पिछली सरकार में वे उप-राष्ट्रपति थे. चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और विलियन लाई चिंग ते चीन के खुले विरोधी रहे हैं.

भारत पर असर

भारत के ताइवान के साथ कोई खास व्यापारिक संबंध तो नहीं है, लेकिन भारत ताइवान की पूर्ण आजादी का समर्थन और चीन के दखल का हमेशा विरोध करता आया है.

साऊथ कोरिया

अमेरिका के करीबी देश साऊथ कोरिया में भी इस साल अप्रैल में चुनाव हुए जिसमें राष्ट्रपति यून सुक की पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. कोरिया की मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक ने बहुमत हासिल की है. इस चुनाव में यूएन की सख्त नीतियों की वजह से क्षेत्र में बढ़ने वाले तनाव को विपक्ष ने मुद्दा बनाया था.

अजरबैजान में 5वीं बार इल्हाम अलीयेव

अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इस बार भी जीत हासिल की है. उन्हें चुनाव में 92 फीसद वोट मिले और वे लगातार पांचवीं बार राष्ट्रपति बने हैं. अर्मेनिया के साथ हुई जंग के बाद उनकी प्रशंसा देश में और बढ़ गई थी. अज़रबैजान के ईरान और तुर्की के साथ अच्छे संबंध हैं, वहीं भारत के साथ रिश्तों में पिछले कुछ सालों में थोड़ी तल्खी देखने मिली है.

फिनलैंड

हाल ही में नाटो में शामिल हुए फिनलैंड के चुनावों में यूक्रेन और रूस युद्ध का मुद्दा छाया रहा. इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर स्टब फिनलैंड के नए राष्ट्रपति बने हैं. उनके सामने फिनलैंड के पूर्व विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो चुनाव लड़ रहे थे जिन्हें मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा है.

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